कौन कहता है पत्थर नही रोता रोता तो बहुत है मगर उसके रोने का हमें एहसास नही है होता...। कौन कहता है पत्थर नही रोता रोता तो बहुत है मगर उसके रोने का हमें एहसास नही है...
जा रहा हूं हे प्रकृति देवी हंसकर मुझे तुम विदा करो। जा रहा हूं हे प्रकृति देवी हंसकर मुझे तुम विदा करो।
पता नहीं ये धरती कब तक हमारा बोझ सह पायेगी! पता नहीं ये धरती कब तक हमारा बोझ सह पायेगी!
प्रभात का वर्ण है स्वर्णिम लाल, रक्तिम गुलाल युक्त है संध्या काल! प्रभात का वर्ण है स्वर्णिम लाल, रक्तिम गुलाल युक्त है संध्या काल!
आँचल में छिपाके रखती है माँ कितनी तकलीफ़ें सहती है फिर भी हम बच्चे तुझे ज़िन्दगी भर सताते हैं और तुझे ... आँचल में छिपाके रखती है माँ कितनी तकलीफ़ें सहती है फिर भी हम बच्चे तुझे ज़िन्दगी भ...